Exclusive: जातीय जनगणना की टाइमिंग चुनावी? केशव प्रसाद मौर्य ने इस सवाल पर दिया चौंकाने वाला जवाब

UP Politics: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने जातीय जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया है. केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जो पहल की है, वह देश के पिछड़े और दलित समाज के लिए मील का पत्थर साबित होगी. उन्होंने कहा कि विपक्षी दल अब इसका श्रेय लेने की होड़ में लगे हैं, लेकिन जनता सब जानती है और विपक्ष की यह चाल काम नहीं आने वाली.

एबीपी न्यूज़ से बातचीत में केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जब अखिलेश यादव की पार्टी कांग्रेस के साथ सत्ता में थी , तब उन्होंने जातीय जनगणना क्यों नहीं करवाई? आज जब मोदी सरकार ने इसकी पहल की है, तब यह सब इसे अपना मुद्दा बताने में लगे हैं.

केशव प्रसाद मौर्य ने सपा और कांग्रेस पर साधा निशाना
उपमुख्यमंत्री ने साफ कहा कि कांग्रेस 60 साल से ज्यादा समय तक देश की सत्ता में रही और समाजवादी पार्टी भी समय-समय पर उनके साथ रही, लेकिन कभी किसी ने जातीय जनगणना की बात तक नहीं की. अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कदम उठाया है, तो यह साफ है कि इसका लाभ पिछड़े, दलित और वंचित वर्गों को मिलेगा.

जब उनसे जातीय जनगणना की टाइमिंग पर उठ रहे सवालों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं बचता, तो वो टाइमिंग पर सवाल उठाने लगते हैं. उन्होंने कहा कि यह समय की मांग थी और भाजपा ने जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए यह फैसला लिया है.

क्या है जातीय जनगणना?
जातीय जनगणना का मतलब है— देश में रहने वाले लोगों की गिनती के साथ-साथ उनकी जातियों का भी रिकॉर्ड तैयार किया जाए. पिछली बार भारत में जातियों की गणना 1931 में हुई थी. इसके बाद से केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की गिनती होती रही है, लेकिन ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की कोई अलग से गिनती नहीं हुई. लंबे समय से ओबीसी समाज यह मांग कर रहा था कि उनकी सही संख्या का आंकड़ा सरकार के पास हो, ताकि योजनाएं सही तरीके से बन सकें. केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना की मंजूरी दी है. ऐसे में यह एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक फैसला माना जा रहा है.

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